Our Publication’s New Release Books
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गुलाब….!

गुलाब…फूलों का सरताज !
गुलाब…..पुष्पों का बादशाह !
प्रेमियों के दिलों में गुदगुदाने वाला, प्रेम प्रगाढ़ रंग भरने वाला, विभिन्न रंगों में सुगंधित, मेरे ह्रदय की तरंगों को सुर्खियों में सजानेवाला …..सुर्ख …हां….
सुर्ख गुलाब…..सुर्ख गुलाब जो कि सदियों से ही सर्वप्रिय रहा है ।उसी सुर्ख गुलाब ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित कर मेरे अंतस की तरंगो को उद्वेलित कर दिया है।
प्रकृति की गोद में खिले रंग बिरंगे फूलों की छटा मेरी कवि हृदय को भावनाओं से परिपूर्ण कर कुछ लिखने को बाध्य कर देती है। फूलों को देखकर कौन प्रसन्न नहीं होता, हर किसी का मयूर मन झूम उठता है फूलों के राजा गुलाब की शोभा देखकर ।
गुलाब कई रंगों के होते हैं। लेकिन मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित सुर्ख़ गुलाब ने किया है। जिसे देखकर मेरे मन में एक प्रसन्नता की लहर उठ जाती है । सुर्ख़ गुलाब की आभा से प्रेरित को देखकर मेरे मन में जो भाव, जो उमंगे उमड़ पड़ी, उन्हें मैंने प्रेम के तराने का रूप दे दिया । सुविज्ञ पाठकों के लिए समर्पित है यह पुस्तक “सुर्ख है गुलाब”।

सुमंगला सुमन एक ऐसी शख्ससियत हैं जिनके काव्य में एक अलग ही अनुभूति महसूस होती है। एक ऐसी कवयित्री हैं जिन्होंने अपनी काव्य की बदौलत एक अलग ही छाप छोड़ी है तथा अपने आप को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वह कवयित्री होने के साथ-साथ एक कुशल संपादिका भी हैं जिन्हेंने कम समय में एक दर्जन से भी अधिक पुस्तकों का सफल संपादन किया है जिनमें ज्योतिबा फुले, वीरांगना, संस्कृति के झरोखे से, तरंग-तराने जिंदगी के, महकते ख्बाव, राहें थमती नहीं, खूबसूरत लम्हे, दिल की जुबां इत्यादि नाम मुख्य हैं। प्रस्तुत पुस्तक में सुमंगला ‘‘सुमन’’ के द्वारा प्रेम की अनुभूति, चाह एवं समर्पण की शक्ति व उनके मनोभावों को अपने सुंगठित शब्दों में पिरोकर एक नया आयाम दिया है जो काबिले तारीफ है।

“Dev Dreams” by Writer-Director C.S. Nag is a rare look at how movie legend Dev Anand turned his movie dreams into reality. As Dev’s chief assistant on “Mr Prime Minister” Nag travels through earthquake terrain in the Kutch desert to document the film adventure from concept to completion. A tribute to the great artist of Indian cinema who not only took cinema to new heights but also taught how to make a better film and much more in the form of a debt that can never be paid off. This book is dedicated to the evergreen actor Late Dev Sahab who has done something that has become immortal for Bollywood in the history of cinema. The author has tried to cover everything that can be done like the ocean in a pot. Not only Indian cinema but foreign cinema is also convinced of his acting and direction. Dev Saheb has established himself as a better actor, but also his image as a cine brand was brilliant and remained associated with cinema till his last days. His memories will always be fresh in our mind and will continue to inspire us to do better.

Author C.S. Nag has worked in the print, television and film media in India, Gulf and US for over 30 years in newspapers like “Mid-Day”, “Indian Express”, “Oman Oberserver” & “Oakland Tribune”; in the PBS TV Ch 8 (KAET News) in US  and is known for his book & movie projects with such luminaries as sitar maestro Ravi Shankar, cartoonist R.K. Laxman and movie legend Dev Anand. He is currently busy with his web series “Indian Renaissance”, “Wake Up, India!” and several movie projects.

प्रस्तुत पुस्तक में कविवर गुरूदीन वर्मा ‘‘जी.आजाद’’ ने व्यक्ति के मन में उमड़ते प्रेम, समर्पण के भावों को अनोखे तरीके से व्यक्त किया है जो पाठकों के मन-मष्तिक पर एक गहरी छाप छोड़ने में सफल होंगे । हर मनुष्य अपने दिल के जज़्बातों को अपने अजीज जो उसके दिल के बहुत करीब से कहना चाहता है । कुछ ऐसी बातंे जो हर किसी से नहीं कही जा सकती हैं । इस पुस्तक में व्यक्ति के मन के भावों को शब्दों में पिरोकर जो मन में एक दूसरे के लिए मोहब्बत है, एक भाव है समर्पण का उसको आपके समक्ष प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास किया है । आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है पुस्तक में लिखित रचनाएँ पाठकों के दिलो-दिमाग पर दस्तक देगी।

‘‘मेरी मोहब्बत’’ मेरी काव्य रचनाओं पर प्रकाशित पहली पुस्तक है और इसमें मेरी सभी काव्य रचना एक गीत के रूप में है जो किसी व्यक्ति विशेष के जीवन से सम्बंधित नहीं होकर एक युवा पीढ़ी के प्रेम पर आधारित है और मैं आशा करता हूँ कि पाठकों को मेरी काव्य रचनाओं की यह पुस्तक बहुत पसंद आयेगी ।

गुरूदीन वर्मा ‘‘जी. आजाद’’

‘‘प्रेम रेगिस्तान की तरह किसी एक जगह ठहर जाने का नाम नहीं है और न ही हवा की तरह पूरी दुनिया में भटकते रहने का। हर चीज को दूरी बनाकर देखना भी प्रेम नहीं है। प्रेम तो वह भावना और ताकत है, जो दुनिया की रुह को भी परिवर्तित करके और निखार कर बढ़िया बना देती है।’’
(अज्ञात)

प्रेम एक ऐसा एहसास है जो दिल और आत्मा में अनुभव होता है। इसलिए इस पर लिखी रचनाएं भी दिल और आत्मा से निकले शब्दों द्वारा ही संभव हो पाती है। दिमाग का उपयोग सिर्फ शब्दों के ज्ञान के लिए होता है परन्तु भाव व भावना सिर्फ दिल से और दिल की गहराइयों से आती है। जितनी दिल की गहराई में आप जाते हैं उतने ही गहरे भाव उत्पन्न होते है और इन भावों को शब्दों में पिरोकर एक करने से रचना बनती है।

प्रेम एक ऐसा एहसास है जो दिल और आत्मा में अनुभव होता है। इसलिए इस पर लिखी रचनाएं भी दिल और आत्मा से निकले शब्दों द्वारा ही संभव हो पाती है। दिमाग का उपयोग सिर्फ शब्दों के ज्ञान के लिए होता है परन्तु भाव व भावना सिर्फ दिल से और दिल की गहराइयों से आती है। जितनी दिल की गहराई में आप जाते हैं उतने ही गहरे भाव उत्पन्न होते है और इन भावों को शब्दों में पिरोकर एक करने से रचना बनती है।
इसी की कोशिश मैंने अपनी इस काव्य पुस्तक “दिल की जुबां” में की है। मेरे दिल की गहराइयों में जो भाव उत्पन्न हुए उन्हें मैंने शब्दों में पिरोकर एक माला तैयार की, जिसने एक रचना का रूप लिया और इन रचनाओं ने मिलकर काव्य संग्रह का, जिसको मैंने नाम दिया “दिल की जुबां”। – संजीव शर्मा

प्रस्तुत पुस्तक के लेखक अभिषेक प्रसाद गुप्ता झारखण्ड राज्य के धनबाद जिले से हैं। लेखक के द्वारा अपनी लेखन की कला के दम पर पाठकों को अपनी ओर खींचा है तथा बहुत सी रचनाओं आमजन के बीच में पहुँचाया है जहाँ पर उन रचनाओं को बहुत सम्मान मिला है। आज के युग में यर्थाथ पंक्तियों के माध्यम से मन पीड़ा को सुधिजनों पाठकों के बीच पहुँचाया है। पुस्तक में लेखक ने अपनी चिर परिचत लेखन शैली के माध्यम से सत्य को लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है जो काबिले तारीफ है। पुस्तक में एक से एक बेहतर रचनाएं पाठकगण को पाठन के लिए मिलेंगी तथा एक बार सोचने पर मजबूर जरूर करेंगी। कविताओं में भावों की गहराई है, सद्भावना है, त्याग है बलिदान है और एक स्त्री का स्त्रीत्व है और भी बहुत कुछ है जो आपको पढ़ने पर ही ज्ञात होगा। आशा है यह पुस्तक आप सभी को पसंद आयेगी।

प्रस्तुत पुस्तक के युवा लेखक अभिषेक प्रसाद गुप्ता झारखण्ड राज्य के धनबाद जिले से हैं। लेखक की प्रारंभिक शिक्षा एवं लालन-पालन कठिनाईयों के बीच हुआ है। तमाम कठिनाईयों के बीच रहकर लेखक ने अपने लक्ष्य को पाने हेतु सतत् प्रयासरत् रहा और तमाम अभावों के बीच भी अपनी लेखन कला को नये आयाम देने हेतु साहित्य की सेवा में समय दिया और कभी प्रयासों के बाद वह इस पुस्तक को लेख कर आप सभी सुधिजन पाठकों के बीच लाने में सफल रहे हैं। लेखक की रूचि देशभक्ति, स्त्री शक्ति एवं अधिकारों इत्यादि विषयों में रही है।

‘‘राहें थमती नहीं’’ एक ऐसी कथाओं की संग्रह की पुस्तक है जिसमें नारियों के संघर्षमय जीवन को अभूतपूर्व तरीके से अपने शब्दों में लेखकों के द्वारा वर्णित किया गया है। स्त्रियां हमारे समाज का अभिन्न अंग होती हैं तथा हमारे ही समाज के तथाकथित लोगों के द्वारा ही शोषित होती रही हैं लेकिन बाबजूद इसके उन्होंने अपने जीवन में हर प्रकार के संघर्ष को सहर्ष स्वीकार कर अपने आप को साबित किया है कि वे भी किसी भी प्रकार किसी से कम नहीं हैं तथा इस समाज में उनका भी उतना ही योगदान है जितना पुरूषों का है और अपनी जीत का परचम लहराया है। सभ्य और शिक्षित कहे जाने वाले हमारे समाज में 21वीं सदी में भी महिलाओं की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं हैं। हर रोज हम कहीं न कहीं देखते और सुनते हैं कि फलां महिला के साथ ज्यादती हुई है। इंसाफ के लिए दर-दर ठोंकरें खाती आज भी देखी जा सकती हैं, लेकिन हम शर्मशार नहीं होते क्योंकि हम पुरूष है इस बात का घमंड है। पुस्तक में नारी के संघर्षों को एक सधी हुई कलम से लिपिबद्ध किया गया है जो अपने आप में अनूठा है, बेहतर है। इसमें उनकी संघर्ष की कथा है, एक जीवंत चित्रण है उनके संघर्ष का। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक आप सभी सम्मनित पाठकों को अवश्य ही पसंद आयेगी और प्रेरणा देगी।

यह कथा संग्रह ‘‘राहें थमती नहीं’’ भारत की उन स्त्रियों को समर्पित है जिन्होंने अभावों में अपना जीवन जीते हुए, समाज, परिवार की तमाम बंदिशों तथा उनके पैरों में हमारे भारतीय समाज के पाखण्ड, ढोंग की बेडियां पड़ी होने के बाबजूद भी उन्होनें कष्टों को सहकर इस बेढंग समाज से लड़कर अपना सारा जीवन संघर्ष में काटा और अपने कर्तव्य पथ पर चलकर अंत में उनकी जीत हुई और वे समाज के लिए एक नई दिशा दिखाने और अपने मुकाम को हासिल करने में सफल रहीं। नमन् है ऐसी भारतीय नारियों को जिनके जीवन संघर्ष की बदौलत आज भारतीय समाज में स्त्रियों को विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

इस पुस्तक में लेखक तारकेश्वर महतो ‘‘गरीब’’ के द्वारा झारखण्ड राज्य की 11 भाषाओं में द्वितीय राजभाषा ‘‘खोरठा’’ के बारे में एक महत्वपूर्ण अनुसंधान संधारित किया गया है। झारखण्ड एक बहुजातीय, बहुसांस्कृतिक एंव बहुभाषी राज्य है जो भाषा-संस्कृति, नेगाचारि, मानववाद, समतावाद, श्रमशीलता और उच्चतर सामाजिक व मानवीय मूल्यों का पृष्ठपोषक है । खोरठा भाषा को झारखण्ड की जनजातीय एंव क्षेत्रीय भाषा के अन्तर्गत क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है। खोरठा मुख्य रूप से झारखण्ड के सदानों की भाषा है, साथ ही यह अपने क्षेत्र के कई जनजाति समुदायों की भी मातृभाषा होकर दो पृथक भाषी समुदायों एंव जनजाति और सदानों के बीच सम्पर्क भाषा के रूप मे पीढ़ी दर पीढ़ी से प्रचलित है । खोरठा भाषा किसी जाति, धर्म, समुदाय विशेष की नहीं है, बल्कि प्रकृति, संस्कृति, सभ्यता एंव मानववाद का प्रतीक है । खोरठा भाषा झारखण्ड में एक अनुमान के अनुसार 48 हजार वर्ग किलोमीटर परन्तु वर्तमान मे 51 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बोली जाती है और खोरठा भाषा बोलने वाले की संख्या अनुमानित 1 करोड 40 लाख 61 हजार है । खोरठा भाषा झारखण्ड के तीन प्रमण्डल उत्तरी छोटानागपुर, संथाल परगना और पलामू प्रमंडल के 16 जिले बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ, चतरा, कोडरमा, दुमका, गोड्डा, देवघर, पाकुड, जामताड़ा, साहेबगंज, लातेहार, पलामू और गढवा में बोली जाती है । इसके साथ ही झारखण्ड राज्य के अतिरिक्त देश के अन्य प्रदेशों पश्चिम बंगाल, बिहार, आसाम, अंडमान एवं विदेशों में मॉरीशस में बोली जाती है। खोरठा भाषा के छः क्षेत्रिय भेद (रूप) हैं सिखरिया, गोलवारी, रामगढिया, देसवाली, पारनदिया एंव संथाल परगनिया।

Note : यह पुस्तक मुख्य रूप से JPSC, JSSC, JTET, शिक्षक बहाली, झारखंड पुलिस आदि परीक्षाओं एंव B.A, M.A के लघु शोध के लिए उपयोगी है ।

तारकेश्वर महतो ‘‘गरीब’’ खोरठा भाषा के जाने माने लेखक हैं जिनके द्वारा खोरठा भाषा के विकास एवं अनुसंधान कार्य को जारी रखा हुआ है। खोरठा भाषा को आम लोगों तक पहुँचाने तथा सुलभ तरीके से सीखने-सिखाने का तरीका भी बताया गया है। लेखक के द्वारा अभी तक इस भाषा के सम्बन्ध में खोरठा मांय माटी (वस्तुनिष्ठ) दिसम्बर 2017 तथा पारसनाथेक गोड़ा (खोरठा कविता संग्रह) दिसम्बर 2019 में लेख की गई हैं जिन्हें आमजन व भाषा प्रेमियों के द्वारा काफी सराहा गया है। यह लेखक की तृतीय पुस्तक है जिसमें लेखक के द्वारा खोरठा भाषा के बारे में सरलतम् तरीके से खोरठा भाषा के साहित्यकारों व उनकी कृतियों के बारे में जानकारी देकर समझाया गया है। लेखक के द्वारा खोरठा भाषा को लेकर कई लेख, निबंध, एकांकी व कविताएँ भी लेख की गयीं हैं जो विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। महुआ खोरठा भाषी पत्रिका के संपादन सहयोगी भी हैं।